
By BY REID J. EPSTEIN AND TRIP GABRIEL from NYT U.S. https://ift.tt/2T8UTjV
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नई दिल्ली (तरुण सिसोदिया ) .किसी भी इंसान के जीवन में उसके जन्मदिन का खास महत्त्व होता है, लेकिन 29 फरवरी को जन्म लेने वालों के लिए जन्मदिन का विशेष महत्त्व हो जाता है क्योंकि चार साल के लंबे इंतजार के बाद उनके जन्म की तारीख आती है। अब यह तारीख 2024 में आएगी। यानी पूरे चार साल बाद। शनिवार को जन्म लेने वाले बच्चों के परिजनों के लिए खुशी का दिन तो था, लेकिन उनके सामने बड़ा सवाल था कि अब वह अपने बच्चे का जन्मदिन किस तरह मनाएंगे। ज्यादातर परिजन इस सवाल पर कन्फ्यूज दिखे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह इसका क्या जवाब दें। लेडी हार्डिंग अस्पताल में स्त्री रोग विभाग के लेबर रूम के बाहर कुछ परिजन दिन बीतने की प्रार्थना भी करते दिखे।
तीन साल 28 को मनाएंगे जन्मदिन, चौथे साल 29 फरवरी को मनाएंगे
नेहरू नगर में रहने वाले संजय सिंह की पत्नी शशि ने शाम के वक्त बेटे को जन्म दिया। संजय ने कहा कि 29 फरवरी को जन्म से थोड़ी दिक्कत तो जरूर है, लेकिन मैंने इसका समाधान ढूंढ लिया है। आज फरवरी का आखिरी दिन है। इसलिए हर साल फरवरी के आखिरी दिन को जन्मदिन मनाएंगे। तीन साल 28 और एक साल 29 फरवरी को जन्मदिन मनाएंगे। जब भी 29 फरवरी आएगी, उस साल ग्रांड जन्मदिन होगा।
सभी दिन अच्छे, हम चार साल में एक बार धूमधाम से मनाएंगे जन्मदिन
प्रगति मैदान के जनता कैंप में रहने वाले ज्ञानदेव की पत्नी डॉली ने सुबह 06:30 बजे बेटे को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि मैं और मेरा परिवार बहुत खुश हंै। मेरा परिवार पूरा हो गया। मेरी एक बेटी है और बेटा भी हो गया। जन्मदिन की बात पर ज्ञानदेव ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का जन्म भी 29 फरवरी को हुआ था। हमारे लिए सब दिन अच्छे हैं। हम चार साल में ही सही एक बार अच्छे से बेटे का जन्मदिन मनाएंगे।
पहली संतान के जन्म से खुश मगर कैसे मनाएंगे बर्थ डे समझ नहीं आ रहा
भोगल इलाके में रहने वाले राकेश कुमार की पत्नी नवीता ने रात 00:35 पर बेटे को जन्म दिया। राकेश की यह पहली संतान है। वह और उसके तमाम परिजन बेटे के जन्म से बेहद खुश हैं। अस्पताल में ही उन्होंने जश्न भी मना लिया। इलाके बेटे का जन्मदिन मनाने के बारे में जब उनसे सवाल किया तो उनके पास इसका जवाब नहीं था। सोचने लगे कि क्या जवाब दें। अंत में उन्होंने कहा कि इस बारे में मैंने सोचा ही नहीं था, लेकिन कुछ न कुछ रास्ता तो जरूर निकालना पड़ेगा।
पूर्व पीएम मोरारजी देसाई सहित कई हस्तियों का 29 फरवरी को जन्मदिन
29 फरवरी को जन्म लेने वाले मशहूर लोगों में पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, अभिनेता या अभिनेत्रियों में भारतीय अभिनेत्री वर्षा उसगांवकर, डैनिस फैरिना जारूल, केन फोरे, शॉल विलियम्स, फिलिस फ्रेलिस (अमेरिका), ऐलैक्स रौको, एंटोनियो सबैटो जूनियर (इटली), फ्रैंक वुडले, जोनाथन कोलमैन (ऑस्ट्रेलिया), जॉस ऑकलैंड, वेंडी पीटर्स इंग्लैंड, नॉको इलिजीमा (जापान), मिशेल मार्गन, (फ्रांस) शामिल हैं। जाने माने खिलाड़ियों में भारतीय खिलाड़ी एडम सिंक्लेयर, कनाडा के खिलाड़ी कैम वार्ड, हेनरी रिचर्ड, लैडन बायर्स, सिमौन गैगने, बॉबी सैनग्यूनएटी, अमेरिका शामिल हैं।
नई दिल्ली (आनंद पवार/शेखर घोष ).उत्तर पूर्वी दिल्ली की हिंसा में जान गंवाने वाले परिजनों का अस्पताल और पुलिस प्रशासन की अव्यवस्था दर्द बढ़ा रही है। इसका गुस्सा शनिवार को जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी के सामने पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन के ऊपर फूटा। यहां पीड़ित परिजनों ने मंत्री के सामने अपनी पीड़ा के साथ ही सरकार की अव्यवस्था पर जमकर विरोध किया। हिंसा में चार दिन से गायब मोहसीन के रिश्तेदार ने मंत्री से गुहार लगाई कि मैंने खुद चेसिस नंबर से जली गाड़ी मेरे परिचित की होने की पहचान की। उस गाड़ी के पास जली लाश की पहचान जल्दी करने डीएनए टेस्ट करने में मदद कीजिए। मंत्री ने जवाब दिया कि हमारा काम सिर्फ सैंपल जांच के लिए भेज सकते हैं।
उन्होंने पुलिस की लापरवाही के आरोपों पर कहा कि हम सिर्फ उनसे निवेदन कर सकते हैं। बता दें मोहसीन मंगलवार को नोएडा से अपने घर लौट रहे थे, लेकिन घर नहीं लौटे। उनकी अंतिम लोकेशन करावल नगर के पास मिली। वहीं पास में एक जली लाश भी मिली है। जिसकी पहचान के लिए डीएनए टेस्ट होना है। एक शख्स परवेज ने हाथ जोड़कर मंत्री से कहा कि यहां पर अव्यवस्था फैली हुई है। लोगों की मदद के लिए कोई सुविधा नहीं है। एक हेल्प डेस्क लगा दीजिए। जिस पर कोई अधिकारी सीधे लोगों की समस्याएं सुने। इस पर मंत्री बोले आपका नाम क्या है। इस पर जवाब मिला कि नाम छोड़िए। लोगों की मदद का इंतजाम कीजिए।
नन्हें नितिन को भी दंगाइयों ने नहीं बख्शा: दंगाइयों ने 15 साल के नितिन पासवान को भी नहीं बख्शा। नितिन अपने पिता राम सुगारत के साथ सब्जी एवं फलों की ठेली लगाते थे। उनके पिता ने बताया कि हम गोकुलपुरी में रहते हैं। रोज की ही तरह हम सोमवार को भी सब्जी बेचने निकले थे, इसी बीच दंगे शुरू हो गए। इससे पहले हमारी समझ में कुछ आता तो दंगाइयों ने मेरे बेटे को गोली मार दी। अब उसके शव के पोस्टमॉर्टम के इंतजार में बैठे हैं।
मंत्री बोले- हम सैंपल लेकर जांच के लिए भेज सकते हैं
मंत्री को पीड़ित परिवार ने बताया कि उनके शव की शिनाख्त होने के बावजूद उनको देने में देरी की जा रही है। शव की कार्रवाई करने के लिए आईओ थाने आने को कह रहा है। पुलिस के अधिकारी दोपहर में आ रहे है। यहां पर शव को लाने ले जाने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। यहां कुछ लोग जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं है। लोगों ने अस्पताल की अव्यवस्था की समस्या को भी मंत्री के सामने उठाया। जिस पर मंत्री ने कहा कि सीटी स्कैन मशीन ठीक हो गई है। इसके अलावा भी यदि किसी को निजी अस्पताल में इलाज कराना है तो वह करा सकता है। सरकार उसका सारा खर्च उठाएगी।
शाहबाज बोला- लौट आऊंगा, लेकिन नहीं लौटा
हिंसा में करावल नगर से 22 वर्षीय शाहबाज मंगलवार दोपहर से गायब है। उसके परिजन इधर उधर ढूंढ रहे, लेकिन कोई पता नहीं चल रहा। शाहबाज के भाई मत्लुम आलम ने बताया कि शाहबाज वेल्डिंग काम करता था। लोनी में परिवार के साथ रहता था। मूलत: परिवार बिहार के मुज्जफरपुर का रहने वाला है। शाहबाद की आंख में वेल्डिंग चला गया था। इसको निकालने के लिए गुरुनानक अस्पताल गया था। लौटते वक्त उसने कॉल करके जानकारी दी थी। करावल नगर पहुंचने पर दोपहर 2.25 बजे कॉल करके शाहबाज ने बताया कि यहां पर दंगा हो रहा है। गाड़ी से निकाल कर मार रहे है। मैंने कहा कि तुम वापस लौट जाओ। उसने कहा कि मैं अंदर की गलियों से आ जाऊगा। इसके एक घंटे बाद भी घर नहीं पहुंचने पर मैंने कॉल लगाया तो उसका मोबाइल स्विच ऑफ था। उसके बाद से कोई पता नहीं चल रहा।
भगदड़ के बाद हमजा गायब
29 वर्षीय हमजा अपने जीजा के साथ मुस्तफाबाद में ही नए खोले चाइनीज रेस्टारेंट से लौट रहे थे। मंगलवार शाम को अचानक रास्ते में भगदड़ होने के बाद हमजा गायब हो गया, जिसका कहीं कोई पता नहीं चल रहा। हमजा के भाई शाहरुख ने बताया कि हमजा को जीटीबी अस्पताल की इंमरजेंसी, वार्ड और मोर्चरी में तलाश कर लिया, लेकिन उसका कहीं कोई पता नहीं चल रहा।
दिनेश दूध लेने के लिए गए थे, वापस नहीं आए
दंगे में मारे गए शिव विहार के दिनेश खटीक के बड़े भाई सुरेश ने बताया कि 24 फरवरी को दिल्ली के शिव विहार इलाके में दिनेश घर से उसके लिए दूध लेने निकले तो फिर वापस नहीं आए। जिहादी भीड़ ने उन्हें अपना शिकार बना लिया। उनके सिर में गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई थी। सुरेश ने बताया कि 29 फरवरी को गोलू अभी महज डेढ़ वर्ष का है। किसी की मौत क्या होती है इसे कुछ पता नहीं। पर आज जन्मदिन पर जब शाम को पिता को लेकर आने की जिद करता है तो उसे क्या समझाए। जिहादी हिंसा ने उसके पिता को उससे छीन लिया है उसे इसकी भी खबर नहीं है।
शिव विहार के आलोक को घेरकर सिर में मार दी गोली
शिव विहार के ही रहने वाले सुमित तिवारी ने बताया कि उसके जीजा आलोक तिवारी (32) करावल नगर मेंं गत्ता फैक्ट्री मेंं प्राइवेट कंपनी काम करते थे। वो जब मंगलवार को शाम को फैक्ट्री से घर लौट रहे थे रास्ते में दंगा देखकर बच्चों के लिए दूध लेने के लिए गली में दुकान तक गए। वहीं जिहादी दंगाइयों ने घेरकर सिर में गोली मार कर हत्या कर दी। मौके पर कोई गाड़ी अस्पताल ले जाने के लिए नहीं मिली, दो घंटे बाद गुरुतेग बहादुर अस्पताल पहुंचा। अगले दिन उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। उनका चार वर्ष का बेटा और 9 वर्ष की बेटी है। इनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उनका अंतिम संस्कार भी आसपास के लोगों ने मिलकर किया है।
इंस्टिट्यूट में लगा दी आग, अंदर 35 बच्चे फंस गए थे
भजनपुरा चौराहे पर होराइजन नाम से हाई स्कूल से लेकर इंटर तक के बच्चों के लिए इंस्टिट्यूट चलाने वाले नवनीत गुप्ता ने बताया कि दंगाइयों ने मंगलवार को उनके इंस्टिट्यूट में आग लगा दी। उस समय उनके इंस्टिट्यूट के अंदर 35 बच्चे फंसे थे जिनमें 20 लड़कियां थीं। गुप्ता ने बताया कि दंगाई डेढ़ हजार से अधिक की संख्या में आए थे। वो वही लोग थे जो पिछले 15 दिनों से सीएए के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने बताया कि ये लोग अचानक इतने हिंसक हो जाएंगे इसका उन्हें अंदाजा नहीं था। उन सभी के हाथों में बंदूक, तलवार, कुल्हाड़ी थी, पेट्रोल बम और पत्थर थे, जिसको देखते उसी पर चला रहे थे। गुप्ता ने कहा कि यह दंगा सुनियोजित था।
नई दिल्ली .एसएन श्रीवास्तव ने शनिवार को दिल्ली पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार संभाल लिया। कुर्सी पर बैठते ही उन्होंने अपने इरादे साफ कर दिए। उन्होंने कहा दिल्ली में शांति बनाए रखना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। दिल्ली में जिन लोगों ने अशांति फैलाई है, उन्हें किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा।
इस तरह की घटनाएं फिर न हों, इसे देखते हुए दंगे और हत्या के मामले दर्ज किए जा रहे हैं। अमूल्य पटनायक ने खुद उन्हें चार्ज हैंड ओवर किया और भविष्य में बेहतर काम करने को लेकर बधाई दी। इस दौरान जहां एसएन श्रीवास्तव के चेहरे पर एक अलग चमक दिखाई दी, वहीं अमूल्य पटनायक की आंखें नम थीं। उनकी सेवानिवृत्ति ऐसे समय हुई जब दिल्ली में दंगे की आग पूरी तरह भड़की हुई है।
बड़ी मुश्किल है राह
एसएन श्रीवास्त ने कहा हिंसा करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में वे फिर से इस तरह का काम ना कर सकें। लगातार हिंसा प्रभावित क्षेत्र में जाकर लोगों से बात की जा रही है। उन्होंने कहा देशहित में काम करना सबकी जरूरत है। सब लोग मिल जुलकर रहें, यही हमारी पुरानी परंपरा रही है। सब उसमें सहयोग करें, ताकि आपसी साैहार्द बना रहे। श्रीवास्तव ने शनिवार को भी दंगाग्रस्त इलाकों का दौरा किया।
नई दिल्ली .नॉर्थ-ईस्ट के हिंसा प्रभावित इलाके करावल नगर में मंगलवार को दंगाइयों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं। उन्होंने ट्यूशन पढ़कर घर लौट रही बच्चियों को भी नहीं बख्शा। दंगाइयों ने इन बच्चियों के कपड़े तक फाड़ दिए और अश्लील हरकतें भी की। एक पीड़ित लड़की की मां सुषमा (बदला हुआ नाम) ने बताया कि आस-पड़ोस की करीब आठ से नौ लड़कियां ट्यूशन पढ़कर घर आ रही थीं। कोचिंग सेंटर घर से करीब 500 से 600 मीटर की दूरी पर है। रास्ते में सैंकड़ों की संख्या में दंगाइयों ने रोक लिया। पीड़ित मां ने बताया कि छठवीं से आठवीं कक्षाओं में पढ़ने वाली मासूम बच्चियों के कपड़े फाड़कर शारीरिक छेड़छाड़ की गई। बच्चियों ने दंगाइयों से काफी मिन्नतें की लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी। एक अन्य पीड़ित बच्ची की मां ने बताया कि हादसे के बाद से बच्ची सदमे में है। उसके शरीर पर नाखुनों के निशान हैं।
बच्ची अब घर से बाहर भी नहीं निकल रही है। बाहर जाने को कहती है कि दंगाई फिर आ जाएंगे। पीड़िता की मां ने कहा कि उनकी किसी समुदाय विशेष के साथ कभी कोई दुश्मनी नहीं है। इसके बावजूद बच्चियों के साथ इतनी घिनौनी हरकत की है। पीड़ित बच्चियों की मां ने बताया कि दंगाइयों ने उनकी किताबें हाथों से छीन ली और फाड़कर उपर की तरफ उछाल दी। एक-दो बच्चियों ने विरोध किया तो दंगाइयों ने थप्पड़ मारे और गालियां दीं। एक अन्य पीड़िता की मां का कहना है जब बच्ची जब रोते हुए घर पहुंची तो उसने हादसे के बारे में बताया। दंगाइयों के दहशत के कारण कोई भी परिवार घटना स्थल तक पर नहीं गया। भास्कर ने जब पीड़ित परिवारों से मामले की पुलिस में शिकायत करने को पूछा तो उन्होंने बताया कि अभी वह सदमें में हैं। कुछ वक्त बाद शिकायत करने जाएंगे। बता दें कि उपद्रवियों ने हिंसा के दौरान कई स्कूलों को भी नुकसान पहुंचाया था। बृजपुरी के विक्टोरिया स्कूल में करीब दो हजार छात्र पढ़ते हैं। स्कूल की बसें फूंक दी गई थीं।
जेएनयू प्रशासन ने छात्राें से कहा- हिंसा के आराेपियाें काे शरण न दें
जेएनयू प्रशासन ने छात्राें काे निर्देश दिए हैं कि दिल्ली हिंसा के अाराेपियाें काे कैंपस में अाकर रहने के लिए न बुलाएं। कुलपति प्राेफेसर जगदीश कुमार ने कहा कि हम दिल्ली में शांति अाैर सद्भाव चाहते हैं। प्रभावित लाेगाें काे मदद देने की जरूरत है। कुछ छात्राें ने बाहरी लाेगाें काे कैंपस में अाकर रहने का अाह्वान किया है। ये वही छात्र हैं, जिन्हाेंने दावा किया था कि जनवरी में बाहरी लाेगाें ने कैंपस में अाकर हिंसा काे अंजाम दिया था।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सभी स्कूल छात्रों के लिए 7 मार्च तक बंद, शिक्षक स्कूल आएंगे
दंगे के कारण बिगड़े हालात और बच्चों के मन मंे दहशत को देखते हुए दिल्ली सरकार ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली जिला के सभी सरकारी व प्राइवेट स्कूल 7 मार्च तक बंद रखने का सरकुलर जारी किया है। इस दौरान गृह परीक्षाएं नहीं होंगी। आदेश में कहा गया है कि शिक्षक व स्कूल प्रमुख सामान्य दिनों की तरह स्कूल आएंगे। गृह परीक्षाओं की अगली तारीख जल्द घोषित की जाएगी। यह सरकुलर दिल्ली शिक्षा निदेशालय के अतिरिक्त शिक्षा निदेशक डॉ. सरोज सेन की तरफ से जारी किया गया। इसके अनुसार छात्रों के मन में तनाव और दर्दनाक स्थिति के बीच परीक्षा की तैयारी के लिए एकाग्रता में कमी हो सकती है। स्कूल प्रमुखों को कहा गया है कि छात्र व उनके परिजनों को स्कूल बंद होने की सूचनाएं एसएमएस या कॉल के माध्यम से दी जाए। दिल्ली के बाकी हिस्सों में गृह परीक्षाएं अपने पूर्व शेड्यूल के हिसाब से जारी रहेंगी। सीबीएसई ने साफ किया है कि 2 मार्च से देशभर और उत्तर पूर्वी दिल्ली सहित सभी केंद्रों पर पूर्व निर्धारित शेड्यूल के हिसाब से परीक्षाएं होंगी। सीबीएसई की प्रवक्ता ने बताया है कि दिल्ली हाईकोर्ट में एक शपथपत्र दाखिल किया था कि परीक्षाएं निर्धारित समय पर कराई जा सके। इस पर हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को निर्देश दिए हैं कि स्टूडेंट्स की सुरक्षा और परीक्षा कराने में सहायता इन इलाकों में उपलब्ध कराएं।
हिंसा में मृत 42 में से 35 का हुआ पोस्टमॉर्टम, 3 की पहचान नहीं
हिंसा में मारे गए लोगों की डेडबॉडी का पोस्टमार्टम तेजी से हो रही हैं। कुल 42 डेडबॉडी में से 35 का पोस्टमॉर्टम हो चुका है। इसमें से जीटीबी अस्पताल में 32, लोकनायक में 2 और जगप्रवेश में एक पोस्टमार्टम हुआ है। 7 पोस्टमार्टम होने बाकी हैं। इसमें से 6 जीटीबी में हैं। इनमें तीन की पहचान अभी नहीं हो सकी है। जीटीबी अस्पताल प्रशासन ने उसके यहां मौजूद सभी डेडबॉडी का पोस्टमार्टम रविवार तक पूरा होने की संभावना जताई है। जीटीबी अस्पताल में शनिवार को 11 डेडबॉडी का पोस्टमार्टम हुआ। इन्हें मिलाकर 32 डेडबॉडी का पोस्टमार्टम हो चुका है। अस्पताल में कुल 38 लोगों की मौत हुई थी। जीटीबी अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ सुनील कुमार ने कहा कि पोस्टमार्टम तेजी से हो रहा है। अब सिर्फ 6 डेडबॉडी का पोस्टर्माटम होना बाकी है। तीन की पहचान होनी अब की बाकी है। संभव है कि रविवार को इनकी पहचान भी हो जाए। रविवार को हम सभी डेडबॉडी का पोस्टमार्टम कर देंगे।