पीजी में डॉक्टरों को तीन माह जिला अस्पताल में काम करना होगा, इसके बाद ही फाइनल परीक्षा दे सकेंगे

पवन कुमार | नई दिल्ली .पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान अब डाॅक्टराें काे तीन माह तक जिला अस्पताल में जाकर मरीजों का इलाज करना होगा। कम्युनिटी मेडिसिन में पीजी कर रहे डॉक्टर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी भेजे जा सकते हैं। तीन माह की ड्यूटी के बाद ही इन्हें फाइनल ईयर की परीक्षा में बैठने की इजाजत मिलेगी। जिलाें में विशेषज्ञ डाॅक्टराें की कमी दूर करने के लिए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने यह फैसला किया है।
इसकी रूपरेखा तय करने का प्रस्ताव स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा गया है। िजला अस्पतालाें में तैनाती का पहला रोस्टर मार्च, 2020 तक तैयार हाेगा। स्टूडेंट्स और जिला अस्पताल को तीन माह पहले जानकारी मिल जाएगी कि किसकी ड्यूटी कहां पर है। पीजी कर रहे डाॅक्टराें काे तीसरे, चौथे या 5वें सेमेस्टर में जिला अस्पताल भेजा जाएगा। तैनाती 200 बिस्तर वाले या उनकी विशेषज्ञता के विभाग में ही हाेगी।इस याेजना का नाम डिस्ट्रिक्ट रेजिडेंसी रखा गया है। इसके प्रमाण-पत्र के अाधार पर ही पीजी के फाइनल ईयर की परीक्षा दी जा सकेगी। हर साल करीब 40 हजार एमबीबीएस स्टूडेंट्स पीजी में दाखिला लेते हैं।
ट्रांसपोर्ट और सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य की होगी :जिलाें में तैनाती के दौरान सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार उठाएगी। अस्पताल पहुंचने के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सरकार की होगी। महिला डाॅक्टराें की सुरक्षा पर खास ध्यान देने काे कहा गया है। तैनाती के दौरान इनका हेल्थ इंश्योरेंस भी सरकार की जिम्मेदारी होगी। रेजिडेंट्स की समस्याओं और शिकायतों के समाधान के लिए हेल्पलाइन नंबर भी होगा।
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09/30/19 5:36 PM
आर्थिक सुस्ती पर स्वामी ने पीएम माेदी से कहा- सच सुनने का मिजाज पैदा करें

नई दिल्ली.भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी काे अप्रिय सच सुनने का मिजाज पैदा करने की नसीहत दी है। साथ ही कहा कि अगर अर्थव्यवस्था काे संकट से निकालना चाहते हैं ताे सरकार के अर्थशास्त्रियाें काे भयभीत करना बंद करें।
एक किताब की लाॅन्चिंग के माैके पर स्वामी ने कहा, "माेदी जिस तरह सरकार चलाते हैं, उसमें बहुत कम लाेग रेखा से बाहर कदम रख सकते हैं। उन्हें लाेगाें काे प्राेत्साहित करना चाहिए कि वह मुंह पर कह सकें कि यह नहीं हाेना चाहिए। मुझे लगता है कि उन्हाेंने अभी ऐसा मिजाज पैदा नहीं किया है।' स्वामी की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब देश की विकास दर छह साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है। अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए सरकार विभिन्न गैर परंपरागत कदम उठा रही है।
अर्थव्यवस्था के संकट के लिए उन्हाेंने नाेटबंदी और जल्दबाजी में लागू किए गए जीएसटी काे भी जिम्मेदार बताया। उन्हाेंने कहा कि सरकार उच्चतर वृद्धि के लिए जरूरी नीतियाें काे नहीं समझ पाई है। स्वामी ने कहा, "हमें एक ऐसे तरीके की जरूरत है, जिसमें हमारी अर्थव्यवस्था में लघु अवधि, मध्यम अवधि और दीर्घावधि के लिए याेजनाएं हाें। लेकिन, आज ऐसा कुछ नहीं है। मुझे डर है कि सरकार द्वारा नियुक्त अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री काे सच बताने में डरते हैं।' पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव की ओर इशारा करते हुए उन्हाेंने कहा कि प्रधानमंत्री का अर्थव्यवस्था में स्नातक हाेना जरूरी नहीं है।
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छग में नक्सल प्रभावित इलाके में बास्केटबाॅल खेलने वाली लड़कियाें में टैलेंट था पर संसाधन नहीं, मान्या ने बढ़ाया हाथ

आनंद पवार | नई दिल्ली .बास्केटबाॅल की एनबीए प्रतियोगिता इस साल मुंबई में आयोजित जा रही है। इसके बीच राजधानी की 17 वर्षीय बास्केटबॉल खिलाड़ी मान्या अग्रवाल छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके के गरीब परिवारों की प्रतिभावान बेटियों का करियर बनाने में मदद कर रही हैं। वह पिछले तीन साल से छत्तीसगढ़ की ट्राइबल यूथ स्पोर्ट्स सोसायटी के साथ जुड़ी हुई हैं।
मान्या, प्रतिभावान लड़कियों को तलाशकर उन्हें मुफ्त किट उपलब्ध कराती हैं। इस तरह अभी तक वह 120 लड़कियों को प्रशिक्षण दिलाने में मदद कर चुकी हैं। इनमें से कई लड़कियों ने नेशनल टीम में भी जगह बनाई है। मान्या स्कूल की छुट्टियों में छत्तीसगढ़ के बस्तर, कोंडा गांव, राजनांदगांव, अंबिकापुर सहित कई गांवों में घूमती हैं। वहां टैलेंटेड लड़कियों के माता-पिता को मनाती हैं कि वे उन्हें खेलने के लिए भेंजें।
9 साल की उम्र से खेल रही बास्केटबॉल मान्या अग्रवाल, पंडोरा रोड इलाके में परिवार के साथ रहती हैं। वह दिल्ली पब्लिक स्कूल में 12वीं कक्षा में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रही हैं। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी मान्या के पिता मनीष अग्रवाल दिल्ली पुलिस में वरिष्ठ अधिकारी और मां मनीषा बंसल डॉक्टर हैं। मान्या ने बताया कि वह 9 साल की उम्र से बास्केटबॉल खेल रही हैं। देश की ओर से बास्केटबॉल खेलने पेरिस भी जा चुकी हैं।
मान्या वर्ष 2016 में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में ट्रेनिंग के लिए गई थीं। उन्होंने बताया, वहीं की लड़कियों में काफी टैलेंट है। वह बेहतर प्रदर्शन भी करती हैं लेकिन संसाधनों का अभाव आड़े आ जाता है। तभी मैंने उनके लिए कुछ करने के लिए ठाना।
स्कूल में प्रजेंटेशन दिया, वेबसाइट बनाई :मान्या ने लड़कियों की आर्थिक मदद हासिल करने के पहले अपने स्कूल में प्रजेंटेशन दिया। अपने परिचितों को मनाया और फिर पड़ोसियों से भी मदद मांगी। इसमें उनके दोस्तों ने भी उनकी मदद की। इसके बाद मान्या ने एक वेबसाइट बनाई। उन्हें जो भी आर्थिक मदद मिलती है, वह सीधे राजनांदगांव में ट्राइबल यूथ स्पोटर्स सोसायटी का संचालन करने वाले साई के कोच राजेश्वर राव व उनकी पत्नी राधा राव के पास पहुंचाई जाती है।
राजेश्वर लड़कियों को खेलना तो सिखाते ही हैं, पढ़ाई के लिए स्कूल में प्रवेश भी दिलाते हैं। मान्या की लगन को देखते हुए गेंद बनाने वाली कंपनी कॉस्को ने हाथ बढ़ाया और 40 से ज्यादा लड़कियों को मदद उपलब्ध कराई। इंटरनेशनल खिलाड़ी एवं कोच, राधा राव ने बताया कि मान्या की वजह से कई गरीब बच्चियां नेशनल खेल रही हैं।
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राशिफल: देखें कैसा गुजरेगा नवरात्र का पहला दिन
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Justin Rose, Rory McIlroy climb into Alfred Dunhill contention
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राशिफल: महीने का आखिरी शनिवार इनके लिए शुभ
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भारत में सिर्फ 6% को खेल का ज्ञान, 125 करोड़ में से 57 लाख खेल से जुड़े

नई दिल्ली.भारत में लोगों को खेल का ज्ञान बहुत कम है। इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (आईएमटी) के रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, देश में सिर्फ 5.56% लाेगों को खेल का ज्ञान है।
गाजियाबाद स्थित रिसर्च सेंटर के रिसर्चर कनिष्क पांडे के अनुसार, 125 करोड़ लाेगों में से सिर्फ 57 लाख लोग ऐसे हैं, जो खेल से जुड़े हुए हैं। यानी, इतने लोगों को खेल का ज्ञान है, या फिर खेलते हैं। कनिष्क ने ही खेल को मौलिक अधिकार में शामिल करने को लेकर पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल लगाई थी। कनिष्क इस रिसर्च सेंटर के प्रमुख हैं।
चीन में लगभग 1 करोड़ लोग तो सिर्फ बैडमिंटन खेलते हैं
कनिष्क बताते हैं, ‘आबादी का सिर्फ 5.56% स्पोर्ट्स लिटरेट है। इसमें महिलाओं का प्रतिशत 1.31% है। 57 लाख लोग डायरेक्टली या इनडायरेक्टली जुड़े हुए हैं। अमेरिका में स्पोर्ट्स लिटरेसी को देखा जाए तो यह 20% है। चीन में करीब एक करोड़ लोग सिर्फ बैडमिंटन ही खेल लेते हैं। अगर, बाकी खेलों को जोड़ लिया जाए तो वहां अमेरिका से आगे निकल जाएगा।’

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Kurt Volker resigns as Ukraine envoy after mention in whistleblower complaint, AP reports
09/27/19 5:56 PM
बांसुरी ने वकील को एक रुपया देने का सुषमा स्वराज का वादा निभाया

नई दिल्ली | पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी ने अपनी मां का वादा निभा दिया है। अपनी मौत से चंद घंटे पहले सुषमा ने जाने-माने वकील हरीश साल्वे को फोन कर कहा था कि घर आओ अपनी 1 रुपए की फीस ले जाओ। लेकिन उसी दिन सुषमा स्वराज का निधन हो गया था।
सुषमा के पति स्वराज कौशल ने शुक्रवार को एक ट्वीट करके बताया, ‘सुषमा स्वराज, बांसुरी ने आज तुम्हारी अंतिम इच्छा को पूरा कर दिया है। कुलभूषण जाधव के केस की फीस का एक रुपया जो आप छोड़ गईं थीं, उसने आज हरीश साल्वे जी को भेंट कर दिया है।’
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खेत पर मेड़, मेड़ पर पेड़; बंुदेलखंड का जखनी गांव बना िमसाल, अब ऐसे 1030 जलग्राम बनेंगे

शेखर घोष | नई दिल्ली .सूखे से जूझ रहे बुंदेलखंड के बांदा जिले का जखनी गांव देशभर के िलए मिसाल बनकर उभरा है। यहां ग्रामीणाें ने खेत पर मेड़ बनाकर और मेड़ पर पेड़ लगाकर गांव काे पानीदार बना िदया है। अब तालाब अाैर कुएं बारहमास लबालब रहते हैं। खेत लहलहा रहे हैं अाैर तपती गर्मी में भी गांव का तापमान अासपास के इलाकाें के मुकाबले रहता है। नीति आयोग ने जखनी को जलग्राम का माॅडल घोषित िकया है। यही नहीं, जल संकट से जूझ रहे देश के 1030 गांवाें काे जखनी की तर्ज पर जलग्राम बनाने की भी घाेषणा की गई है।
जखनी काे पानीदार बनाने के नायक और जलग्राम समिति के संयोजक उमाशंकर पांडेय कहते हैं, वर्ष 2005 में िदल्ली में जल और ग्राम विकास को लेकर एक कार्यशाला हुई थी। उसमें तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने बिना पैसे अाैर बिना तकनीक खेत पर मेड़ बनाने की बात कही थी। हमारे गांव में कोई िकसान ऐसा नहीं कर रहा था। इसलिए मैंने अपने पांच एकड़ खेत की मेड़ बनाई अाैर पानी को रोका। पहले पांच किसानों ने अनुसरण किया, िफर 20 किसान अागे अाए।
उमाशंकर बताते हैं कि गांव के लोगों को भी देसी तरीके से पानी की बचत करने का तरीका बताया गया। हर घर का प्रयोग िकया पानी पाइप लाइन और नालियों के जरिये छोटे-छोटे कुओं तक पहुंचाया जाने लगा। पूरी कवायद का फायदा यह हुआ है िक सूखे के चलते पलायन कर गए 2000 युवा गांव लौट आए। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह ने कहा कि उनके लिए जखनी आना मक्का-मदीना की तरह है। जखनी की सफलता की कहानी का अध्ययन करने इजराइल, नेपाल के कृषि वैज्ञानिक, तेलंगाना, मप्र, महाराष्ट्र और बांदा विश्वविद्यालय के शोधार्थी अा चुके हैं।
खेतों में बनाए छोटे कुएं, पांच फीट पर िमल रहा पानी :जल शक्ति मंत्रालय द्वारा दिल्ली में आयोजित छठे भारत जल सप्ताह में आए उमाशंकर ने गुरुवार को बताया कि मेड़ के साथ खेतों में 15 फीट गहरे कुएं बनाकर बारिश का पानी सहेजा गया। इससे भूजल स्तर बढ़ा। गांव में भी 30 से अिधक कुएं हैं। इनमें पांच फीट पर ही पानी िमल रहा है।
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