नई दिल्ली .अयाेध्या विवाद पर हिंदू अाैर मुस्लिम पक्ष के वकीलाें के बीच मंगलवार काे सुप्रीम काेर्ट में तल्ख बहस हुई। चीफ जस्टिस रंजन गाेगाेई ने हिंदू पक्ष की दलीलाें में बाधा डालने पर मुस्लिम पक्ष काे फटकार भी लगाई। दरअसल, हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि उन्हाेंने कभी सांप्रदायिक साैहार्द बिगाड़ने की दलीलें नहीं दीं, जबकि मुस्लिम पक्ष की दलीलें सांप्रदायिक थीं। इस पर मुस्लिम पक्ष बीच में ही जोरों से बोलने लगा। इससे चीफ जस्टिस गोगोई नाराज हो गए। उन्होंने मुस्लिम पक्ष को फटकारते हुए कहा कि जब एक पक्ष दलील दे रहा है तो दूसरा उसमें बाधा न पैदा करे। अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।
काेर्ट लाइव -मुस्लिम पक्ष ने एएसआई की छवि धूमिल की: हिंदू पक्षकार
हिंदू पक्ष के वकील के परासरन: राम जन्मभूमि न्यायिक व्यक्ति है। अगर लोगों को विश्वास है कि किसी जगह दिव्य शक्ति है तो उसे न्यायिक व्यक्ति मान सकते हैं।
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन: इन्हें साबित करना होगा कि विवादित स्थल पर मंदिर था। वहां पूजा हाेती थी।
जस्टिस भूषण: क्या वहां दो न्यायिक व्यक्ति हैं? जन्मभूमि और राम?
परासरन: दो से अधिक हैं। मंदिर में एक प्रमुख देवता होता है। हम अनेक रूपों में उन्हें पूजते हैं। कोर्ट काे न्याय का मंदिर कहते हैं। हमारे पास कई जज हैं। पूरी संस्था काे अदालत कहते हैं।
धवन: कोर्ट नई बहस की तरफ जा रहा है। यह मंदिर के नामकरण के बारे में नहीं है। मैं इस मामले में लिखित नोट दूंगा। महंत रघुबरदास की याचिका पर सीआरपी 1882 लागू होता है तो मेरे पास बहस के लिए बहुत कुछ है।
परासरन: मुझे दलील पूरी करने दें। यह मेरा समय खराब कर रहे हैं।
धवन: जहां भी जरूरत हाेगी, टोकूंगा।
हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन: एेसी टिप्पणी सही नहीं है।
धवन: इलाहाबाद हाईकोर्ट के निष्कर्षों के लिए मुस्लिमों को टारगेट किया गया।
वैद्यनाथन: मुस्लिम पक्ष ने खुदाई में निकली लंबी दीवार को ईदगाह बताया, लेकिन न तो किसी गवाह ने इसकी बात कही, ना अाॅर्कियाेलाॅजिकल सर्वे ने। मुस्लिम पक्षकारों ने एएसआई की छवि धूमिल की। जबकि इंडोनेशिया और कंबोडिया जाकर एएसआई ने काफी अच्छा काम किया।(इस पर मुस्लिम पक्षकारों की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने आपत्ति जताई।)
वैद्यनाथन: इनका दावा है कि बाबरी मस्जिद सपाट जमीन पर बनी थी। वहां कोई ईदगाह नहीं थी।
धवन: हमने 1961 में केस दायर किया था। हमें कैसे पता चलता?
वैद्यनाथन: हिंदुओं ने 1989 में केस दायर किया था। तब भी कहा था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। तब आपने जवाब नहीं दिया और आज कह रहे हैं कि ईदगाह तोड़कर मस्जिद बनाई गई। यह तो नया काॅन्सेप्ट है। हाईकोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट में कुछ गलत नहीं पाया। रिपोर्ट में ईदगाह की बात नहीं है। खुदाई में मिली दीवार नंबर 18 एक कमरे का हिस्सा है।
मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी: इस हिस्से की पूरी खुदाई नहीं हुई थी। इसलिए खुदाई में मिली दीवार को कमरे का हिस्सा नहीं कहा जा सकता।
चीफ जस्टिस गोगोई: एक पक्ष दलील दे रहा है तो दूसरा पक्ष बाधा न डाले। धवन: इसके लिए हम माफी चाहते हैं।
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