नई दिल्ली (नीरज आर्या).करीब दो घंटे की बातचीत में वार्ताकारों के समक्ष शाहीनबाग की महिलाओं ने अपना पूरा दर्द बयां कर दिया। इस आंदोलन की वजह से उन्हें क्या क्या सुनने को मिला, यह सब उन्होंने सिलसिले वार ढंग से बताया। इस दौरान एक लड़की की आंखे तक नम हो गई, उसने कहा यह प्रदर्शन सड़क तक सीमित नहीं है। सरकार को इस बात की चिंता है कि सड़क नहीं खुलने की वजह से आम लोगों को खासी परेशानी हो रही है, लेकिन कभी यह नहीं सोचा कि बीच सड़क ठिठुरती सर्दी में आखिर महिलाएं अपने छोटे छोटे बच्चों को लेकर क्यों बैठी हैं। सबसे ज्यादा दर्द इस बात को लेकर हुआ कि यहां बैठी महिलाओं पर इस तरह के इल्जाम लगाए कि वे पांच पांच सौ रुपए लेकर धरने पर बैठी हैं। यहां लोग खाने पीने के लिए बैठे हैं। लोगों मध्यस्थों से पूछा- नेता रामलीला मैदान जाते हैं, पर यहां क्यों नहीं आते?
लोग बोले- अगर सड़क खोल दी तो उनकी बात कोई नहीं सुनेगा, वार्ताकार पूरी रिपोर्ट कोर्ट को देंगे
यहां प्रदर्शन के दौरान लोगों का कहना था कि अगर उन्होंने सड़क को खाेल दिया तो उनकी आवाज काे कोई आगे नहीं सुनेगा। यहां हजारों की संख्या में लोग, महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी वार्ताकारों से होने वाली बात को सुनने के लिए पहुंचे हुए थे। उन्होंने कहा कानून जनता के लिए होता है, ना कि उसे परेशान करने के लिए। रविवार तक वार्ताकार वहां जाकर लोगों से एक एक कर उनकी बातें सुनेगें। प्रदर्शनकारी लोगों से बातचीत के बाद वार्ताकार की टीम सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी पूरी रिपोर्ट पेश करेगी। लोग क्यों बैठे हैं और वे चाहते क्या हैं, सब जानकारी कोर्ट को दी जाएगी।
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