एम्स ने किया शोध: सीलिएक से पीड़ित महिलाओं को बांझ बना रहा ग्लूटेन युक्त आटा, तलाक की भी नौबत

नई दिल्ली (तरुण सिसोदिया) .अगर आपको भूख नहीं लगती, पेट में दर्द होता है और कब्ज भी रहता है तो इसे सामान्य तरीके से नहीं लेना चाहिए। यह सीलिएक नाम की बीमरी के लक्षण हैं। यह बच्चों को भी होती है इससे उनकी लंबाई के साथ ही वजन भी कम हो जाता है। यह बीमारी गेहूं, जौ, राई और ओट्स में पाए जाने वाले एक प्रोटीन (ग्लूटेन) से होता है। एम्स में इस बीमारी को लेकर किए एक शोध में पाया गया कि इससे पीड़ित महिलाएं बांझपन की शिकार हो रही हैं। इतना ही नहीं कुछ की शादियां भी टूट रही हैं।

80 लाख लोग भारत में इस बीमारी से पीड़ित

एक अनुमान के मुताबिक दुनिया की 0.7 फीसदी आबादी सीलिएक से पीड़ित है। भारत में 60-80 लाख पीड़ित हैं।

ग्लूटेन फ्री खाना खाकर जी सकते हैं नॉर्मल लाइफ

एम्स में सीलिएक बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए चलने वाले स्पेशल क्लीनिक में अनेक महिलाएं ने अपना दर्द डॉक्टरों को बयां किया। डिपार्टमेंट ऑफ गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी में प्रोफेसर डॉ. गोविंद मखारिया ने महिला मरीजों की पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि ज्यादातर की बड़ी समस्या बच्चा न होना है। बहुत से महिलाओं के इसके बारे में पता नहीं होता और वह ग्लूटेन युक्त खाना खाती रहती है। लगातार ग्लूटेन युक्त खाने से ऐसी महिलाएं बांझपन की ओर बढ़ रही हैं। एक युवा लड़की का शादी के चार साल बाद बच्चा नहीं होने के कारण तलाक भी हुआ है। एक लड़की को शादी से पहले सीलिएक था, मगर उसने ससुराल में नहीं बताया और नॉर्मल खाना शुरू कर दिया। इससे उसकी परेशानी बढ़ गई। डॉ मखारिया ने कहा कि यदि किसी को एक बार सीलिएक हो गया तो उसका एक ही रास्ता है ग्लूटेन फ्री खाना।

यह हैं लक्षण

अपच, अनीमिया, ऐंठन, मुंह में छाले, उलटी, मतली, चिड़चिड़ापन, हड्डी का दर्द, हाथ-पैर में झुनझुनी, त्वचा पर निशान, सिर दर्द, बाल झड़ना और थकान भी सीलिएक के लक्षण हैं। गेस्ट्रोएंटरोलॉजी के विभाग अध्यक्ष डॉ. अनूप सराया ने कहा कि ग्लूटेन फ्री दाल, मक्की, चावल, डेयरी प्रॉडक्ट, नॉन वेज, फ्रूट आदि खा सकते हैं। बहुत से मरीजों ने अपने घर में चक्की भी रखी हुई है ताकि किसी भी संदेह से बचा जा सके।



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प्रतीकात्मक फोटो।


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