मेरी मां गुजर गईं लेकिन मुझे यहां और भी कई मांओं की सेवा करनी है, वे भी यही चाहती थीं...

ट्रेवल एजेंसी चलाने वाले शकील-उर-रहमान ने आखिरी बार अपनी बीमार मां को दिसंबर में देखा था, वे इलाज के लिए बिहार के समस्तीपुर से दिल्ली आई थीं। शुक्रवार को उन्होंने मां नौशबा खातून को खो दिया। अंतिम संस्कार रिश्तेदारों ने किया, क्योंकि वे जरूरतमंदों की सेवा में जुटे थे। दोस्तों ने उन्हें आखिरी बार मां को देखने जाने के लिए कहा, तो उनका जवाब था- मेरी यहां ज्यादा जरूरत है। कोई और मां भूख से मर न जाए। दोस्तों ने प्रशासन से परिवार से मिलने की अनुमति की बात कही, लेकिन रहमान ने इनकार कर दिया। कहा कि संकट में फंसे जरूरतमंदों की मदद कर सका, तो यह मां को सबसे अच्छी श्रद्धांजलि होगी। वे भी यही चाहती थीं।' परिवार के एक सदस्य ने उन्हें मां के गुजरने की सूचना दी थी।


लॉकडाउन खत्म होने पर मां से मिलने जाना था
रहमान ने कहा- मां की तबियत कुछ दिनों से ठीक नहीं थी। लॉकडाउन हटने के बाद मैं उनसे मिलने जाने वाला था, लेकिन आखिरी बार भी नहीं देख सका। जो हम चाहते हैं वह सब कुछ सच नहीं हो पाता।

800 परिवारों को खाना पहुंचा रही है इनकी टीम
रहमान और उनके दोस्त दिल्ली में रोज करीब 800 परिवारों की मदद कर रहे हैं। रिश्तेदारों और परिचितों से भी समर्थन मिल रहा है। जरूरतमंदों को खाने के लिए कॉल या व्हाट्सएप मैसेज भी मिलते हैं। रहमान की टीम मालवीय नगर, जैदपुर, तुगलक रोड और ओखला जैसे इलाकों में बेसहारा मजदूरों को मुफ्त खाना मुहैया करा रही है।



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My mother passed away, but I have to serve many more mothers here, they also wanted this ... Coronavirus Delhi Cases Lockdown LIVE, Corona Virus Cases in Delhi (COVID-19) Death Toll Latest News and Updates


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