देश में लॉकडाउन के 77 दिन बीतने के बाद भी अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारें से कहा कि वह 15 दिन के भीतर सभी प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाए। इसके साथ ही लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर राज्यों में उन पर दर्ज मुकदमे सरकारें वापस लें। जस्टिस अशोक भूषण के नेतृत्व वाली पीठ ने मंगलवार को यह भी निर्देश दिया कि अधिकारी पलायन करने वाले सभी मजदूरों की पहचान कर डेटा तैयार करें।
उनकी स्किल मैपिंग कराई जाए, ताकि हर उन्हें योग्यता के अनुसार रोजगार मिल सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि मजदूरों के लिए काउंसलिंग सेंटर खोले जाएं, जहां उन्हें रोजगार संबंधी जानकारी दी जाए। इसके अलावा घर लौटे मजदूरों के लिए रोजगार की योजना बनाएं, जिनका गांव-गांव तक प्रचार करें। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि इस पूरी प्रक्रिया के बारे में केंद्र व राज्य सरकारें दो सप्ताह में हलफनामा कोर्ट में पेश करें।
28 मई को कोर्ट ने कहा था- मजदूरों से किराया न लें, खाने की व्यवस्था करें
सप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के पलायन मामले में 28 मई को भी अंतरिम आदेश दिया था। तब कोर्ट ने कहा था कि ट्रेनों और बसों से सफर कर रहे प्रवासी मजदूरों से किसी तरह का किराया न लिया जाए। कोर्ट ने आदेश दिया कि फंसे हुए मजदूरों को खाना मुहैया कराने की व्यवस्था भी राज्य सरकारें ही करें।
केंद्र सरकार ने कहा- हमने 4200 ट्रेनें दीं, इनसे 1 करोड़ से ज्यादा लोग घर गए
केंद्र ने कोर्ट को बताया कि उसने 4200 श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें दी हैं। इनसे अब तक एक करोड़ से ज्यादा प्रवासी कामगार अपने गंतव्य तक जा चुके हैं। केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि राज्यों को उनकी मांग के आधार पर ट्रेनें दी जा रही हैं। आगे भी मांगे जाने पर दी जाएंगी। रेलवे ने राज्यों काे चिट्ठी लिखकर उनसे बुधवार तक श्रमिकाें काे उनके घर पहुंचाने के मकसद से ट्रेन की जरूरत हाे ताे मांग भेजने काे कहा है।
- रेलवे ने महाराष्ट्र में प्रवासी कामगारों को पहुंचाने के लिए 802 श्रमिक एक्सप्रेस भेजीं। वहीं गुजरात में 22 लाख में अब 2.5 लाख प्रवासी कामगार ही बचे हैं।
- दिल्ली के लॉ ऑफिसर ने कहा कि अब महज 10 हजार ही ऐसे लोग बचे हैं, जो घर लौटना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश ने प्रवासियों को लाने में 100 ट्रेन का इस्तेमाल किया।
- केरल में 4.34 लाख प्रवासी कामगार थे, जिनमें से 1 लाख से ज्यादा जा चुके हैं।
बंधुआ मजदूरों को छोड़ने की मांग पर एनएचआरसी को कहा
बिहार और उत्तर प्रदेश के ईंट भट्ठों में काम करने वाले 187 बंधुआ मजदूरों की रिहाई को लेकर दायर याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने निपटारा कर दिया है। दोनों राज्य सरकारों ने कोर्ट को बताया कि ज्यादातर बंधुआ मजदूरों को छोड़ा जा चुका है। जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह अपनी मांग राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के समक्ष रखे और उन्हें बंधुआ मजदूरी रोकने के लिए गाइडलाइंस बनाने का निवेदन करे।
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