(धर्मेंद्र डागर)दिल्ली में कोरोना की दहशत इतनी अधिक हो गई है कि अब अस्पतालों के डॉक्टर भी मरीजों की एक नहीं सुन रहे हैै। डाक्टरों के आगे-पीछे हाथ जोड़े जान बचाने के लिए भाग रहें हैं, इसके बाद भी डाक्टरों का हृदय पसीज नहीं रहा है। इसी तरह से सभी अस्पताल अपना पल्ला झाड़ने के लिए एक दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दे रहे है और आखिर में मरीज एक से दूसरे अस्पताल के चक्कर लगाते लगाते दम तोड़ रहे है। ऐसा ही एक मामला गुरुवार को जीटीबी अस्पताल में देखने में आया है। जहां एक डॉक्टर को एक के बाद एक पांच अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद किसी ने एडमिट नहीं किया।
पीड़ित की बेटी ने पांचों अस्पतालों के डॉक्टरों के हाथ-पैर जोड़े, ऑक्सीजन के लिए गिड़गिड़ाई लेकिन किसी ने उसकी एक ना सुनी और आखिर में रात आठ बजे उसके डॉक्टर पिता राजेंद्र प्रसाद यादव ने दम तोड़ दिया। पीड़िता ने कहा उनके पिता भी खुद डॉक्टर है, आपके स्टॉफ के हैं। उसने दिल्ली सरकार की कंप्लेन नंबर पर भी कई बार कॉल किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
पीडिता ने लगाए सरकार पर गंभीर आरोप
पीड़िता पूनम यादव का कहना है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में इलाज के नाम पर कुछ नहीं है। सैकड़ों की संख्या में मरीज अस्पतालों के बाहर धक्के खा रहे है। मरीज इलाज के लिए तड़प रहे है, लेकिन कोई अस्पताल इलाज करने के लिए तैयार नहीं है। अस्पतालों में यह बोला जा रहा है कि यहां कोरोना के मरीजों को भर्ती किया जाता है। ना किसी अस्पताल में कोरोना का टेस्ट हो रहा है। जब तक डॉक्टर टेस्ट के लिए नहीं लिखेंगे तब तक कैसे हो पाएगा। ऐसे में आधे से अधिक गरीब लोग बिना इलाज के ही मर जाएंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार लोगों को केवल पागल बना रही है।
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