तबलीगी जमात के बांग्लादेशी नागरिकों को साकेत कोर्ट मुख्य महानगर दंडाधिकारी गुर मोहिना कौर ने प्रत्येक विदेशी को 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर शुक्रवार को जमानत दी। मामले की सुनवाई वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई। आरोपियों ने शुक्रवार को कोर्ट में समझौता आवेदन दिया। इस तरह के आवेदन के तहत आरोपी अपना दोष स्वीकार कर लेता है और कम दंड देने की याचना करता है।
अब तक, अफगानिस्तान, ब्राजील, चीन, अमेरिका, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, रूस, अल्जीरिया, बेल्जियम, सऊदी अरब और अन्य सहित विभिन्न देशों के नागरिकों को जमानत दी गई है। सभी आरोपित पर वीजा नियमों का कथित उल्लंघन करने के अलावा कोविड-19 के मद्देनजर भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करके जमात में हिस्सा लेने का आरोप है।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मामले के संबंध में 900 से अधिक विदेशी नागरिकों का नाम लिया है। केंद्र ने उनका वीजा रद्द कर दिया है और उन्हें ब्लैकलिस्टेड कर दिया है। तबलीगी जमात नेता मौलाना साद और अन्य के खिलाफ 31 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
विहिप ने जमातियों को जमानत दिए जाने पर उठाया सवाल
निजामुद्दीन मरकज मामले में तबलीगी जमात से संबद्ध लोगों को अदालत से जमानत दिये जाने पर विश्व हिंदू परिषद ने सवाल उठाया है। विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने ट्वीट कर कहा है, “60 मलेशियाई तबलीगी जमातियों पर वीजा नियमों का उल्लंघन, कोरोना फैलाने और सरकारी आदेशों को नहीं मानने का आरोप था, फिर भी महज 7 हजार के जुर्माने पर छोड़ दिया गया। कितना सहृदय है हमारा देश और कानून, कोरोना साद की गिरफ्तारी क्यों नहीं।” विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि इस मसले में किंग पिन मौलाना साद की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही है? उन्होंने पूछा कि ये लुका छिपी का खेल कब तक चलेगा?
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