नार्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगे की जांच डीयू में हिंदी प्रोफेसर अपूर्वानंद तक पहुंच गई है। इस सिलसिले में उनसे स्पेशल सेल ने पांच घंटे तक पूछताछ की। उनसे इस साल फरवरी और पिछले साल जामिया नगर में हुए दंगों को लेकर सवाल जवाब किए गए। पुलिस ने जांच के मद्देनजर प्रोफेसर का मोबाइल भी कब्जे में ले लिया है। वहीं, दूसरी तरफ स्पेशल सेल द्वारा की गई पूछताछ के बाद प्रोफेसर ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा वह जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक नार्थ ईस्ट दिल्ली में इस साल फरवरी माह में हुए दंगे को लेकर प्रोफेसर को जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था। इस बाबत एक अगस्त को उन्हें समन भेजा गया था। दंगे को लेकर उनसे सोमवार को लोधी कॉलोनी स्थित स्पेशल सेल के ऑफिस में लगभग पांच घंटे तक पूछताछ की गई। पुलिस टीम ने जानने की कोशिश की कि फरवरी और पिछले साल दिसंबर में हुए दंगे के दौरान वे कहां थे।
दंगे में साजिश के पीछे उनकी भूमिका की भी जांच की जा रही है।
फरवरी में नार्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगे के दौरान पचास से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। पुलिस ने छह मार्च को एक सूचना पर मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें बताया गया था कि इन दंगों के पीछे बड़ी साजिश है। बाद में इस केस में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) को भी शामिल कर लिया गया। कुछ दिन पहले ही स्पेशल सेल ने दंगों को लेकर जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से पूछताछ की थी। उसका भी पुलिस ने फोन जब्त किया था।
अपूर्वानंद ने मंगलवार को जारी बयान में कहा
“मुझे स्पेशल सेल, दिल्ली पुलिस ने फरवरी 2020 में नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा से संबंधित एफआईआर संख्या 59/20 की जांच में पेश होने के लिए कहा था। मैंने वहां पांच घंटे बिताए। दिल्ली पुलिस ने जांच के उद्देश्य से मेरे फोन को जब्त करना भी आवश्यक समझा। ”
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