दिल्ली सरकार के राजस्व कलेक्शन में सुधार के लिए दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमिशन दिल्ली (डीडीसीडी) विस्तृत अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करेंगी। इस संबंध में बुधवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने डीडीसीडी को रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। सिसोदिया ने कहा कि डीडीसीडी को दिल्ली के राजस्व कलेक्शन में सुधार के लिए छोटे और दीर्घकालिक उपायों को लेकर सुझाव दे। उन्होंने अध्ययन करने के लिए क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञों और संबंधित संगठनों से परामर्श लेने को भी कहा। यह रिपोर्ट दो महीने में देने के लिए कहा गया।
सिसोदिया ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने दिल्ली मेें सरकारी राजस्व पर काफी प्रभाव डाला है। वहीं, डीडीसीडी के वाइस चेयरमैन जस्मीन शाह ने कहा कि हम दिल्ली के राजस्व के आधार में सुधार के लिए टैक्स संबंधी सभी प्रासंगिक डेटा का विश्लेषण करके टैक्स में योगदान देने वाले सभी कारणों पर एक विस्तुत अध्ययन करेगें। इसके लिए विशेषज्ञों की भी मदद ली जाएगी। हमें विश्वास है कि हम उचित रणनीति के साथ राजस्व घाटे को समय पर दूर करने के उपाए के साथ रिपोर्ट देंगे।
टैक्स कलेक्शन घट रहा, अन्य राज्यों में बढ़ रहा
सिसोदिया ने 2019-20 के लिए दिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण का संज्ञान लिया। सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली देश में प्रति व्यक्ति सबसे अधिक आय वाले राज्यों में से एक है। उन्होंने कहा कि 2018-19 में ग्रास स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीएसडीपी) 4.73 प्रतिशत दिल्ली के टैक्स राजस्व के मामले में 19वें स्थान पर था। 2019-20 में जीएसडीपी का प्रतिशत टैक्स राजस्व के रूप में उत्तर प्रदेश में (9.1%), केरला (7.7%), राजस्थान (7.2%), महाराष्ट्र (7.1%) और आंध्र प्रदेश (7.0%) है। यदि केवल दिल्ली के आंकड़े देखे तो वर्ष 2009-10 में दिल्ली का टैक्स राजस्व जीएसडीपी का 6.18 प्रतिशत है।
जबकि वर्ष 2014-15 में यह 5.38 प्रतिशत और 2018-19 में गिरकर 4.73 प्रतिशत हो गया। इसकी तुलना में देश के अन्य राज्यों का औसत टैक्स कलेक्शन जीएसडीपी के प्रतिशत का वर्ष 2009-10 में 5.94 प्रतिशत था जो 2014-15 में बढ़कर 6.25 प्रतिशत और वर्ष 2018-19 में 6.69 फीसद हो गया। इससे साफ है कि दिल्ली में टैक्स कलेक्शन घट रहा, जबकि अन्य प्रदेशों म़े बढ़ रहा।
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