राज्य सरकार के आदेश का पालन न कर कोर्ट से स्टे ऑर्डर लाकर फरीदाबाद में ही डटे रहना डिप्टी लेबर कमिश्नर सुधा चौधरी को महंगा पड़ गया। सरकार ने उनके रिटायरमेंट के तीन महीने पहले सस्पेंड कर दिया। कहा तो यह भी जा रहा है कि कुछ उद्यमियों ने कोरोना काल में अनलॉक लागू होने के बाद विभाग के अधिकारियों द्वारा कंपनियों में जाकर वसूली करने की शिकायत राज्य सरकार से की थी। इसकी कितनी सच्चाई है यह तो जांच का विषय है।
डिप्टी लेबर कमिश्नर सुधा चौधरी कई वर्षों से फरीदाबाद में ही तैनात हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों राज्य सरकार ने इनका ट्रांसफर कर दिया था। दूसरे जिले में जाने के बजाय सुधा चौधरी हाईकोर्ट जाकर स्टे ऑर्डर ले आई और फरीदाबाद में ही डटी रहीं। डिप्टी लेबर कमिश्नर के इस कदम से सरकार खासी नाराज थी। सूत्रों ने यह भी बताया कि कोरोना कॉल में जब अनलॉक लागू होने के बाद कंपनियां खुलनी शुरू हुईं तो श्रम विभाग के अधिकारी वहां पहुंचकर एसपीओ लागू न करने के नाम पर प्रताडि़त किया और जेब भी गरम की। इसकी शिकायत उद्यमियों ने सरकार से की। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने सुधा चौधरी को सस्पेंड कर दिया। अगले वर्ष जनवरी 2021 में इनकी रिटायरमेंट है।
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