दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को कहा कि इस साल फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे राष्ट्रीय राजधानी में विभाजन के बाद सबसे भयानक सांप्रदायिक दंगे थे। यह प्रमुख वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षा रखने वाले राष्ट्र की अंतरात्मा पर एक घाव था। अदालत ने आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के तीन मामलों में जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं। अतिरिक्त सेशन जज विनोद यादव ने कहा, ‘यह सामान्य जानकारी है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई हिस्से सांप्रदायिक उन्माद की चपेट में आ गए, जिसने विभाजन के दिनों में हुए नरसंहार की याद दिला दी।
दंगे जल्द ही जंगल की आग की तरह राजधानी के नए भागों में फैल गए और अधिक से अधिक निर्दोष लोग इसकी चपेट में आ गए। इतने बड़े पैमाने पर दंगे फैलाना पूर्व-नियोजित साजिश के बिना संभव नहीं मालूम पड़ता है। कोर्ट ने माना कि इस स्टेज पर जमानत नहीं दी जा सकती, क्योंकि मामले में जांच जारी है।
ऐसे में जमानत देने पर आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकता है। दरअसल, बुधवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की तरफ से जमानत का विरोध किया गया था और कहा गया था कि पुलिस इन मामलों में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करना चाहती है। ऐसे में जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है।
चार्जशीट में आरोपी ताहिर मास्टरमाइंड
विगत महीने कड़कड़डूमा कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ताहिर हुसैन को दंगों के मुख्य साजिशकर्ताओं में शामिल किया था। चार्जशीट में कहा गया था कि इन दंगों के लिए ताहिर हुसैन समेत अन्य लोगों के बैंक खातों में बाहर से रकम आई थी। ताहिर हुसैन ही वह व्यक्ति था, जिसने अपने इलाके में लोगों को जनवरी महीने में रकम उपलब्ध करा दंगों के लिए तैयारी करने को कहा था। इसके लिए हथियार खरीदने की बात भी स्पेशल सेल ने चार्जशीट में कही थी।
ताहिर हुसैन के खिलाफ दर्ज हैं ये केस
कोर्ट ने जिन मामलों में जमानत याचिका खारिज की है, वे तीनों मामले दयालपुर थाने से संबंधित हैं। एक मामला दयालपुर थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 120 का है। एफआईआर में ताहिर हुसैन के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 147,148, 149, 427, 436 और 120बी के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं।
उमर खालिद ने कहा- जेल की काेठरी में अकेले बंद कर रखा है
दिल्ली दंगे के मामले में यूएपीए के तहत गिरफ्तार जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद ने काेर्ट काे बताया कि तिहाड़ जेल प्रशासन उसे जेल की कोठरी से बाहर नहीं निकलने देता है और उसे 24 घंटे अकेला कैद रखा जाता है। इस पर एडिशनल सेशन काेर्ट के जज अमिताभ रावत ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान मौजूद रहें। खालिद काे न्यायिक हिरासत की अवधि पूरी होने पर वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए काेर्ट में पेश किया गया था।
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