भारत और अमेरिका के बीच तीसरी ‘टू-प्लस-टू’ बातचीत 27 को अक्टूबर काे नई दिल्ली में हाेगी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दाेनाें देशाें के रक्षा और विदेश मंत्रियाें की इस बातचीत में आपसी रणनीतिक हिताें, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दाें पर चर्चा हाेगी। ये बातचीत अमेरिका में 3 नवंबर काे हाेने वाले राष्ट्रपति चुनाव से मात्र एक हफ्ते पहले हाे रही है।
ऐसे में बातचीत का दायरा सीमित हाेगा और इसके दीर्घकालिक मकसद पर सवाल उठ रहे हैं। इन सवालाें पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार काे कहा कि पहले के दाे बार की टू-प्लस-टू बातचीत साल के आखिरी में हुई थी और इसी आधार पर यह तय हुआ है। कूटनीतिक कैलेंडर का अपना तर्क हाेता है।
‘टू-प्लस-टू’ बातचीत के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क टी. एस्पर 26 और 27 अक्टूबर को भारत में रहेंगे। इसमें भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डाेभाल के साथ बातचीत करेंगे।
फरवरी 2020 में भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय रिश्तों की धुरी में 5 क्षेत्रों सिक्यूरिटी, डिफेंस, ऊर्जा, टेक्नाेलाॅजी और आम जनता के बीच संपर्क का चुनाव किया था।
टू-प्लस-टू बातचीत का महत्व:
पिछले कुछ वर्षों में रक्षा क्षेत्र में भारत-अमेरिका के संबंध अच्छे हुए हैं। भारत पर अवरोधों और प्रतिबंधों की अवधि से ही अमेरिका सक्रिय रूप से भारतीय रक्षा साझेदारी और निर्यात प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। दोनों राष्ट्र गहरे सैन्य सहयोग हेतु रक्षा संबंध विकसित करना चाहते हैं, जो इस भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए महत्वपूर्ण होगा। दोनों राष्ट्र त्रिपक्षीय तथा बहुपक्षीय प्रक्रियाओं के माध्यम से एक-दूसरे के साथ जुड़े हैं। टू-प्लस-टू बातचीत इसी जुड़ाव काे और गहरा बनाने की प्रक्रिया है।
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