दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को दिल्ली के शिक्षा मॉडल पर बहस की खुली चुनौती देने पर दिल्ली भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा के प्रवक्ताओं ने मंगलवार को प्रेस वार्ता कर इस मामले में उन्हें बहस की चुनौती देते हुए इसके लिए तारीख और समय बताने को कहा है।
प्रवक्ता हरीश खुराना और पूजा सूरी ने मीडिया सह-प्रमुख हरिहर रघुवंशी, प्रदेश प्रवक्ता आदित्य झा के साथ प्रेस वार्ता में दिल्ली सरकार के वर्ड क्लास शिक्षा पर सवाल उठाते हुए कहा कि 10वीं के परीक्षा परिणाम में दिल्ली देश में अंतिम दो पायदान पर है।
खुराना ने कहा कि उपमुख्यमंत्री कई मौकों पर कह चुके हैं कि हमें दिल्ली के बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाना है लेकिन 1030 स्कूल में से सिर्फ 331 स्कूल में साइंस पढ़ाई जाती है। देश और दिल्ली की जनता को फोटो दिखा कर बता रहे हैं कि दिल्ली का शिक्षा मॉडल सबसे बढ़िया है, लेकिन वास्तव में इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर सिर्फ 5 स्कूल बनाए गए हैं जिसे स्कूल आफ एक्सीलेंस का नाम दिया है।
शिक्षा लिए रखी बजट का उपयोग नहीं
खुराना ने कहा कि केजरीवाल सरकार की माने तो उन्होंने भारत के इतिहास में राज्यों में सबसे ज्यादा बजट रखा, लेकिन सच्चाई यह है कि शिक्षा के लिए आवंटित बजट में से वर्ष 2015-16 में 2670 करोड़ रुपए, 2016-17 में 1571 करोड़ रुपए, 2017-18 में 1538 करोड़ रुपए, 2018-19 में 4896 करोड़ रुपए, 2019-20 में 2839 करोड़ रुपए बजट का उपयोग ही नहीं किया गया।
11वीं-12वीं के रिजल्ट का जिक्र क्यों नहीं करते
खुराना ने कहा कि मनीष सिसोदिया 12वीं की रिजल्ट को लेकर कसीदे पढ़ते हैं लेकिन 10वीं का रिजल्ट क्या है इसका जिक्र कहीं भी नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि जब आम आदमी पार्टी सरकार सत्ता में आई थी तो 10वीं का रिजल्ट 98.81 प्रतिशत था और आज 82.61 प्रतिशत है, यानी रिजल्ट में लगभग 17 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस साल 10वीं का रिजल्ट पूरे देश के परिणामों में से दिल्ली (85.79 प्रतिशत) का दूसरा सबसे खराब परिणाम था।
सरकारी स्कूलों में घट गए छात्र पब्लिक स्कूलों में बढ़े
पूजा सूरी ने कहा कि वर्ष 2014-15 में दिल्ली सरकार के अंतर्गत 1203 स्कूल थे जिनमें डीओई व सहायता प्राप्त विद्यालय शामिल है, उनमें 17.05 लाख छात्र नामांकित थे, वर्ष 2019-20 में 1230 विद्यालयों में यह घटकर 16.50 लाख छात्र बच गए है।
95 हजार बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़ा। इसी दौरान वर्ष 2015 में 2277 निजी विद्यालयों में 14.71 लाख छात्र नामांकित थे, वर्ष 2020 में 1705 निजी विद्यालयों में 16.90 लाख छात्र नामांकित है। निजी विद्यालयों की संख्या 572 कम हुई फिर भी 2.19 लाख छात्रों की संख्या बढ़ी।
उच्य शिक्षा के नाम पर 11 छात्रों को दिया लोन
मनीष सिसोदिया ने दिल्ली की जनता से वादा किया था कि दिल्ली के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार की वित्तीय समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा। लेकिन सच्चाई यह है कि 2016-2017 में 149, 2017-2018 में 34, 2018-2019 में 242 और 2019-2020 में 295 बच्चे और इस साल मात्र 11 बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये केजरीवाल सरकार द्वारा लोन दिलाया गया।
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