कृषि कानूनों के खिलाफ नूंह जिले के किसान भी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, किसानों के लिए जो भी दावे किए जाते हैं, उनमें कोई सच्चाई नहीं है। नगीना खंड के 40 गांव की भूमि को सिंचाई करने के लिए नहरी पानी तक उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा जिले के गांव में सिंचाई के पानी की कमी है। किसान के खेत में पानी लगने से भूमि बंजर होती जा रही है।
किसान इब्राहिम मरोड़ा का कहना है कि चौधरी चरण सिंह ने जो रास्ता धरती पुत्र को दिखाया था उन पर किसान तो चल रहा है, लेकिन सरकार उस पर चलने का काम नहीं कर रही है। किसान दरेखान कंसाली ने बताया कि बनारसी व अन्य नहरों में पानी कई दशकों से नहीं आया है।
जमीन की गहराइयों में पानी जैसे सूख चुका है और 40 गांव में सिंचाई के लिए पानी नहीं है इसलिए टैंकरों से खेतों में पानी देते हैं। किसान इकबाल का कहना है कि एक भी किसान ऐसा नहीं मिलता जो आज के हालात में खुश हो।
ऐसे में किसान दिवस के मायने कोई मायने नहीं रह जाते है क्योंकि कोई उत्सव खुशी में मनाया जाता है। किसान मुस्तुफा कमाल पंच बताते हैं कि कोरोना काल में लाखों किसान दिल्ली के आसपास कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे सड़कों पर रहने को मजबूर हैं फिर भी सरकार सुस्त है।
अन्नदाता सड़क से लेकर संसद तक अपना विरोध दर्ज करा रहा है। फिर भी केंद्र सरकार को किसानों का दर्द दिखाई व सुनाई नहीं पड़ रहा है। इतना जरूर है कि इस बार का किसान दिवस हमेशा किसानों की परेशानी और बदहाली के लिए याद किया जाता रहेगा।
-मम्मन खान, विधायक फिरोजपुर झिरका।
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