नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और केंद्र सरकार के बीच सातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। अब अगली वार्ता 8 जनवरी को होगी। विज्ञान भवन में बैठक का आलम ये रहा कि एक बार फिर किसानों ने सरकारी खाना खाने से इंकार कर दिया। उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों से कहा, ‘आप अपना खाना खाएं, हम अपना खाएंगे।’
सोमवार को बैठक में सरकार कानूनों में संशोधन की मांग दोहराती रही। वहीं किसान कानून वापसी की बात पर अड़े रहे। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मसले पर भी कोई रास्ता नहीं निकला। इसलिए इस बार भी सहमति नहीं बनी। दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को सोमवार को 40 दिन हो गए। किसान संगठनों के अनुसार उनके प्रदर्शनों में अब तक 60 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है।
बैठक के दौरान इन सभी को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और उद्योग व वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘हमारा मुद्दा 8 जनवरी की वार्ता में भी एमएसपी और कानून वापसी ही रहेगा।’ किसान संगठन अब 6 जनवरी को कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे पर और 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे।
दिल्ली में चिल्ला-गाजीपुर सीमा किसानों के प्रदर्शन के कारण बंद है। वहीं, हरियाणा में रेवाड़ी जिले में दिल्ली-जयपुर हाईवे स्थित खेड़ा बॉर्डर व संगवाड़ी से किसानों के दल दिल्ली कूच कर रहे थे। लेकिन पुलिस ने धारूहेड़ा के पास कंटेनर लगाकर सड़क रोक दी।
पंजाब में टावर तोड़ने के मामले में हाईकोर्ट पहुंची रिलायंस, कहा- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में आने की कोई योजना नहीं
किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा जियो के टाॅवरों को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ किए जाने के मामले को लेकर रिलायंस ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। रिलायंस जियो ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें असामाजिक तत्वों से अपनी संपत्ति (जैसे टॉवरों के साथ तोड़फोड़) और सुविधाओं की रक्षा के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग की गई है।
साथ ही कहा है कि देश में अभी जिन तीन कृषि कानूनों को लेकर बहस चल रही है, उनके साथ उसका (कंपनी का) कोई लेना-देना नहीं। इस बाबत रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से कहा गया, ‘इन कानूनों से नाम जोड़ना सिर्फ हमारे कारोबार को नुकसान पहुंचाने और बदनाम करने का कुप्रयास है।
कंपनी कॉरपोरेट या कॉन्ट्रैक्ट खेती नहीं करती। इस क्षेत्र में उतरने की कोई योजना भी नहीं है। अपने स्टोर के जरिए बिक्री करने वाली उसकी खुदरा इकाई किसानों से सीधे खाद्यान्नों की खरीद भी नहीं करती।’
हरियाणा में लाठीचार्ज का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
पिछले दिनों हरियाणा में किसानों पर हुए लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले और वॉटर कैनन के इस्तेमाल का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज के 35 छात्रों की ओर से सुप्रीम कोर्ट को पत्र भेजा गया था।
इसे अदालत ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया है। इस याचिका पर सुनवाई किसान आंदोलन को लेकर दाखिल अन्य याचिकाओं के साथ हो सकती है। छात्रों ने पत्र में हरियाणा सरकार पर किसानों के मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाया है। लाठीचार्ज और वाॅटर कैनन के इस्तेमाल को मानवाधिकार उल्लंघन बताया गया है।
किसानों के अड़े रहने से निर्णय नहीं हो सका
किसान संगठनों से एमएसपी पर भी बात हुई। लेकिन कानून वापसी पर अड़े रहने के कारण कोई निर्णय नहीं हो सका। ताली दोनों हाथ से बजती है। देश में करोड़ों किसान हैं, सरकार ने उन सभी के हित को ध्यान में रखकर कानून बनाया है। ऐसे मुद्दों पर चर्चा के कई दौर चलते हैं।’
-नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि मंत्री
क्रूर सरकार पर किसान कैसे विश्वास करे
सरकार एक तरफ किसानों को वार्ता के लिए बुलाती है, दूसरी तरफ कड़कड़ाती ठंड में उन पर आंसू गैस के गोले बरसा रही है। इसी अड़ियल और क्रूर व्यवहार की वजह से अब तक लगभग 60 किसानों की जान जा चुकी है। किसान कैसे विश्वास करे इस क्रूर सरकार पर?’
-प्रियंका गांधी वाड्रा, कांग्रेस महासचिव
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