सरकार के निर्देश के बाद खाड़ी देशों में कोरोना के कारण फंसे भारतीयों को निकालने के लिए नौसेना, वायुसेना और एअर इंडिया बड़े आॅपरेशन की तैयारी कर रहे हैं। यह निर्देश पिछले हफ्ते पीएम नरेंद्र मोदी के साथ तीनों सेनाओं के प्रमुखों और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की बैठक में दिए गए थे।
इस अभियान में नौसेना ने जल से जमीन पर युद्ध छेड़ने वाले सबसे बड़े जहाज आईएनएस जलाश्व और दो अन्य युद्धपोतों को तैयार कर लिया है। यह जहाज कोरोना संक्रमण से बचने के उपायों का पालन करते हुए 300 से 400 लोगों को लाने में सक्षम हैं, जबकि जलाश्व में 850 लोगों को लाया जा सकता है। नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि जलाश्व के डेक पर पुरुषों को, भीतरी डेक में बुजुर्गों, महिलाओं एवं बच्चों को लाने की योजना है।
वहीं, वायु सेना का सी-17 विमान 400 यात्रियों को ला सकता है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के कारण एक उड़ान में 200 यात्रियों को लाने की योजना है। वायुसेना अपनी योजना का प्रारूप मंत्रियों के समूह को सौंपेगी। एअर इंडिया की फ्लाइट्स को स्टैंड बाय रखा गया है।
सूत्रों ने बताया कि सरकार की प्राथमिकता उन लोगों को लाने की है, जिन्हें तुरंत राहत की जरूरत है। इनमें वह लोग शामिल हैं, जिनकी वीसा अवधि खत्म हो चुकी है। बुजुर्ग, बीमार हैं, गर्भवती महिलाओं और बच्चों और पाठ्यक्रम पूरे कर चुके छात्रों को भी स्वदेश लाना शामिल है। खाड़ी के इन देशों में भारतीय मिशनों से ऐसे नागरिकों का पंजीकरण करने को कहा जा रहा है जिन्हें तुरंत देश लाना है।
सर्वोच्च प्राथमिकता वालों को सरकारी खर्च पर लाने की तैयारी
आईएनएस जलाश्व अभी पूर्वी तट पर विशाखापट्टनम में है और निर्देश मिलने के बाद पांच दिन में यह खाड़ी की तट तक पहुंच सकता है। ऐसे में पूरा अभियान भारत में लॉकडाउन खुलने के साथ ही शुरू किया जा सकता है। एअर इंडिया का बड़ा विमान बेड़ा भी इस अभियान में लगाया जा सकता है। विमानन मंत्रालय ने मेगा प्लान के तहत 650 विमान भेजने की तैयारी की है। योजना के मुताबिक, सर्वोच्च प्राथमिकता वाले भारतीयों को सरकारी खर्च पर लाए जाए, जबकि दूसरी प्राथमिकता वाले नागरिकों से रियायती किराया लिया जाए। तीसरी प्राथमिकता वाले नागरिकों को सामान्य खर्च पर लाया जा सकता है।
3 बड़े अभियान चल चुके
- 1990 में निकाले गए थे डेढ़ लाख से ज्यादा भारतीय:नेवी ने युद्ध के वक्त 2006 में लेबनान और 2015 में यमन से भारतीयों को निकाला था। भारतीयों को खाड़ी देशों से निकालने का अब तक का सबसे बड़ा अभियान 1990 में कुवैत-इराक युद्ध के दौरान चला था। तब डेढ़ लाख भारतीय निकाले गए थे। अनुमान के मुताबिक, खाड़ी देशों में 80 लाख भारतीय हैं।
- कुवैत के प्रधानमंत्री ने किया था अनुरोध
- यूएई का अनुरोध माना; भारत पूर्व सैन्य डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ को भेजेगा
भारत सरकार ने कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात के उस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है, जिसमें उन्होंने कोरोना से निपटने में मदद के लिए भारत से डॉक्टर और नर्स भेजने की मांग की थी। सरकार के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि सबसे पहले यह अनुरोध कुवैत के प्रधानमंत्री शेख सबाह अल खालम अल-हमद ने किया था। इसके बाद भारत ने त्वरित प्रतिक्रिया वाले वायुसेना के 15 सदस्यीय मेडिकल स्टाफ को वहां भेज दिया। यह दल सोमवार को लौट आया। इसके बाद ऐसा ही दूसरा अनुरोध यूएई ने भेजा है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर मदद की गुहार: सऊदी अरब में फंसी 18 गर्भवती नर्स और डॉक्टर भारत लौटना चाहते हैं
केरल और देश के अन्य राज्यों की सऊदी अरब में काम कर रही 18 गर्भवती नर्सों अाैर डाॅक्टराें ने सुप्रीम कोर्ट से मदद की गुहार लगाई है। साथ ही वतन वापसी के लिए मदद मांगी है। इन महिलाअाें की ओर से वकील जोस अब्राहम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें देश में सुरक्षित वापस बुलाने को लेकर केंद्र सरकार एवं अन्य काे दिशा-निर्देश देने का अनुराेध किया है।
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